Gol Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Solutions-गोल कक्षा 6 की हिंदी पुस्तक मल्हार के अध्याय 2 का नाम “गोल” है, जो बच्चों को न केवल भाषा के कौशल सिखाता है, बल्कि उन्हें जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी देता है। इस लेख में हम इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं और उसके समाधानों पर चर्चा करेंगे।
Gol Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Solutions
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गोल कक्षा 6 हिंदी मल्हार – अध्याय 2 पाठ का संक्षेप
पाठ “गोल” में मेजर ध्यानचंद के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पल और उनकी खेल भावना का वर्णन है। यह एक प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी के संस्मरण पर आधारित है। ध्यानचंद का जन्म 1905 में प्रयाग में हुआ था और उन्होंने अपनी खेल यात्रा की शुरुआत एक साधारण सिपाही के रूप में की थी।
इस पाठ में एक खेल के दौरान की घटना का उल्लेख है, जब ध्यानचंद ने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी से गुस्से में आकर हॉकी स्टिक से मारा गया था। इसके बाद उन्होंने न केवल अपने खेल में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति सहानुभूति भी व्यक्त की। उन्होंने खेल के मैदान में अपने प्रदर्शन के माध्यम से दिखाया कि गुस्सा और प्रतिशोध की भावना के बजाय, खेल भावना और सहयोगी रवैया ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
ध्यानचंद की मेहनत और समर्पण ने उन्हें 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम का कप्तान बना दिया, जहाँ उन्होंने अपनी टीम को स्वर्ण पदक दिलवाया। उनकी खेल शैली और समर्पण ने उन्हें “हॉकी का जादूगर” का खिताब दिलाया।
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि सफलता के लिए केवल प्रतिभा ही नहीं, बल्कि मेहनत, लगन, और खेल भावना भी आवश्यक हैं। मेजर ध्यानचंद का जीवन प्रेरणा का स्रोत है और वे हमें बताते हैं कि खेल में जीत-हार केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की होती है।
गोल कक्षा 6 हिंदी मल्हार – अध्याय 2 समाधान
मेजर ध्यानचंद का जन्म किस वर्ष हुआ था?
- A) 1900
- B) 1905
- C) 1910
- D) 1915
सही उत्तर: B) 1905
ध्यानचंद किस खेल के लिए प्रसिद्ध हैं?
- A) क्रिकेट
- B) फुटबॉल
- C) हॉकी
- D) बैडमिंटन
सही उत्तर: C) हॉकी
1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम को किस पदक से सम्मानित किया गया था?
- A) रजत पदक
- B) स्वर्ण पदक
- C) कांस्य पदक
- D) कोई नहीं
सही उत्तर: B) स्वर्ण पदक
ध्यानचंद को किस उपनाम से जाना जाता था?
- A) हॉकी का जादूगर
- B) क्रिकेट का जादूगर
- C) फुटबॉल का जादूगर
- D) एथलेटिक्स का जादूगर
सही उत्तर: A) हॉकी का जादूगर
मेजर ध्यानचंद ने खेल भावना के बारे में क्या कहा?
- A) जीतना सबसे महत्वपूर्ण है।
- B) हार और जीत व्यक्तिगत होती है।
- C) हार या जीत देश की होती है।
- D) खेल सिर्फ प्रतिस्पर्धा के लिए है।
सही उत्तर: C) हार या जीत देश की होती है।
- A) मद्रास रेजिमेंट
- B) ब्राह्मण रेजिमेंट
- C) पंजाब रेजिमेंट
- D) सिख रेजिमेंट
सही उत्तर: B) ब्राह्मण रेजिमेंट
ध्यानचंद ने हॉकी खेलने में दिलचस्पी कब दिखाई?
- A) बचपन में
- B) जब वे लांस नायक बने
- C) सेना में भर्ती होने के बाद
- D) ओलंपिक में भाग लेने के बाद
सही उत्तर: C) सेना में भर्ती होने के बाद
ध्यानचंद के अनुसार, सफलता का राज क्या है?
- A) किस्मत
- B) मेहनत और खेल भावना
- C) पैसा
- D) खेल उपकरण
सही उत्तर: B) मेहनत और खेल भावना
ध्यानचंद की टीम ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में कितने गोल किए?
- A) 5
- B) 6
- C) 7
- D) 8
सही उत्तर: B) 6
ध्यानचंद को हॉकी में निखार कैसे आया?
- A) कोच की मदद से
- B) खुद की मेहनत से
- C) भाग्य के कारण
- D) दोस्तों की सहायता से
सही उत्तर: B) खुद की मेहनत से
खेल के मैदान में गुस्सा आना किस तरह की भावना है?
- A) सकारात्मक
- B) नकारात्मक
- C) तटस्थ
- D) उत्साही
सही उत्तर: B) नकारात्मक
पाठ में ध्यानचंद ने किस खिलाड़ी से बदला लेने की बात की थी?
- A) अपने साथी से
- B) प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी से
- C) कोच से
- D) दर्शक से
सही उत्तर: B) प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी से
मेजर ध्यानचंद की सेना में पदवी क्या थी जब उन्हें ओलंपिक में कप्तान बनाया गया?
- A) सूबेदार
- B) लेफ्टिनेंट
- C) लांस नायक
- D) मेजर
सही उत्तर: C) लांस नायक
ध्यानचंद ने खेल भावना का क्या महत्व बताया?
- A) यह जीतने के लिए आवश्यक है।
- B) यह केवल पेशेवर खिलाड़ियों के लिए है।
- C) यह खेल को मजेदार बनाती है।
- D) यह हार को कम महत्वपूर्ण बनाती है।
सही उत्तर: C) यह खेल को मजेदार बनाती है।
ध्यानचंद का जन्म कहाँ हुआ था?
- A) झाँसी
- B) प्रयाग
- C) दिल्ली
- D) लुधियाना
सही उत्तर: B) प्रयाग
ध्यानचंद ने कितने गोल किए थे, जब उन्होंने गुस्से में आए खिलाड़ी से बदला लिया?
- A) 4
- B) 5
- C) 6
- D) 7
सही उत्तर: C) 6
पाठ में ध्यानचंद ने किन दो समूहों के बीच मुकाबला किया था?
- A) पंजाब रेजिमेंट और भारतीय टीम
- B) सैंपर्स एंड माइनर्स और पंजाब रेजिमेंट
- C) भारतीय टीम और सैंपर्स एंड माइनर्स
- D) कोई नहीं
सही उत्तर: B) सैंपर्स एंड माइनर्स और पंजाब रेजिमेंट
ध्यानचंद का मानना था कि खेल में गुस्सा ठीक नहीं है। वे किस कारण से ऐसा मानते थे?
- A) इससे खेल में बाधा आती है।
- B) इससे खिलाड़ी पर ध्यान नहीं रहता।
- C) यह प्रतिद्वंद्वी को डराता है।
- D) यह खेल की गुणवत्ता को खराब करता है।
सही उत्तर: A) इससे खेल में बाधा आती है।
ध्यानचंद ने किस उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया?
- A) 10 वर्ष
- B) 15 वर्ष
- C) 6 वर्ष
- D) 12 वर्ष
सही उत्तर: C) 6 वर्ष
ध्यानचंद ने अपने जीवन में किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया?
- A) शारीरिक
- B) मानसिक
- C) आर्थिक
- D) सभी प्रकार
सही उत्तर: D) सभी प्रकार
गोल कक्षा 6 हिंदी मल्हार – अध्याय 2 समाधान
प्रश्न 1: मेजर ध्यानचंद का बचपन और खेल के प्रति उनकी रुचि के बारे में बताएं।
उत्तर: मेजर ध्यानचंद का जन्म 1905 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ। उनका बचपन झाँसी में बीता। शुरुआती दिनों में उनकी हॉकी में कोई खास रुचि नहीं थी, लेकिन जब वे ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में भर्ती हुए, तो सूबेदार मेजर तिवारी ने उन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे ध्यानचंद ने इस खेल में निपुणता हासिल की और अपनी मेहनत से एक सफल खिलाड़ी बने।
प्रश्न 2: पाठ में वर्णित खेल की घटना का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर: पाठ में एक घटना का वर्णन है जब ध्यानचंद ने पंजाब रेजिमेंट और सैंपर्स एंड माइनर्स के बीच एक मैच खेला। इस मैच के दौरान, माइनर्स टीम के एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर ध्यानचंद को हॉकी स्टिक से मारा। हालांकि, ध्यानचंद ने अपने गुस्से को नकारते हुए खेल भावना दिखाई और मैच के अंत में छह गोल करके अपनी टीम को जीत दिलाई। इस घटना ने दिखाया कि गुस्सा खेल में कहीं भी सहायक नहीं होता।
प्रश्न 3: ध्यानचंद ने बर्लिन ओलंपिक में क्या उपलब्धि हासिल की?
उत्तर: ध्यानचंद ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान के रूप में भाग लिया। इस ओलंपिक में उनकी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। ध्यानचंद की हॉकी खेलने की कला और उनकी नेतृत्व क्षमता ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया, और उन्हें “हॉकी का जादूगर” के नाम से जाना जाने लगा।
प्रश्न 4: ध्यानचंद के अनुसार खेल भावना का क्या महत्व है?
उत्तर: ध्यानचंद के अनुसार, खेल भावना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हार या जीत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की होती है। खेल में गुस्सा और प्रतिशोध की भावना से बचना चाहिए। उनकी मान्यता थी कि सहानुभूति, सहयोग और टीमवर्क से खेल को और भी आनंदमय बनाया जा सकता है।
प्रश्न 5: मेजर ध्यानचंद के द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों का जीवन में महत्व बताएं।
उत्तर: मेजर ध्यानचंद ने अपने जीवन में मेहनत, साधना और खेल भावना के सिद्धांतों को अपनाया। उनका मानना था कि सफलता के लिए ये तीन बातें अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने हमेशा अपनी मेहनत पर विश्वास रखा और यह दिखाया कि किस तरह लगातार प्रयास करने से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। ये सिद्धांत न केवल खेल में, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 6: पाठ में दिए गए बदले की घटना से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: पाठ में बदले की घटना से हमें यह सीख मिलती है कि प्रतिशोध की भावना को छोड़कर हमें अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाना चाहिए। ध्यानचंद ने गुस्से की बजाय खेल में अपने कौशल को दिखाते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को यह संदेश दिया कि खेल में नकारात्मकता के बजाय सकारात्मकता और मेहनत से अधिक महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 7: मेजर ध्यानचंद की जीवन यात्रा का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर: मेजर ध्यानचंद की जीवन यात्रा साधारण परिवार से शुरू हुई। उन्होंने 6 वर्ष की आयु में खेलना शुरू किया और बाद में सेना में भर्ती हुए। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम का कप्तान बना दिया, जहाँ उन्होंने स्वर्ण पदक जीते। उनकी हॉकी खेलने की कला और खेल भावना ने उन्हें “हॉकी का जादूगर” बना दिया और वे खेल प्रेमियों के बीच एक प्रेरणा बन गए।
प्रश्न 8: ध्यानचंद की सफलताओं के पीछे के कारणों का विश्लेषण करें।
उत्तर: ध्यानचंद की सफलताओं के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और खेल के प्रति लगन ने उन्हें उत्कृष्टता की ओर अग्रसर किया। इसके अलावा, उन्होंने हमेशा अपनी टीम के लिए काम किया और व्यक्तिगत उपलब्धियों से ज्यादा टीम की जीत को प्राथमिकता दी। उनकी खेल भावना और सकारात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल एक महान खिलाड़ी बल्कि एक प्रेरक व्यक्ति बना दिया।