Web3.0 kya hai?| Difference between Web2.0 and Web3.0?

Web3.0 kya hai?क्यों ये इतनी चर्चाओं में है। क्या है web 3. 0 की खासियत? कैसे ये इंटरनेट की दुनिया को बदलने वाला है। क्या आप भी ये सारि सवाल का जवाब जानना चाहते  हो ? तो चलो फिर आज इस लेख के माध्यम से हम ये सारि बातों पे नजर डालेंगे की Web3. 0 kya hai? और कैसे ये हमारे जीवन को प्रभाबित करेंगे। इसके साथ जानेंगे की क्या है Web3. 0 की बिशेस्ताएं?

Web3.0 kya hai puri jankari Hindi me

एक छोटी सी उदहारण के माध्यम से समझने की कौशिश करेंगे की Web3.0 kya hai?। जैसे हम जानते हैं शुरू से लेकर अब तक कंप्यूटर का स्वरुप बदल रहा है और आगे भी बदलेगा। समय के साथ कंप्यूटर के इस बदलाब को हम जनरेशन कहने लगे।

जब कंप्यूटर अपनी शुरुवाती दिनों में था तब कंप्यूटर की उस पड़ाव को 1st generation का नाम दिया गया। फिर धीरे धीरे उसमे बदलाव होने लगा। तब भारी भरकम कंप्यूटर की जगह डेस्कटॉप जैसी छोटी कंप्यूटर ने लेली जिसको 2nd generation कहा गया। और धीरे धीरे कंप्यूटर बदलाव के साथ 4th generation तक पहंच गया है और 5th generation की और बढ़ रहा है।

ठीक उसी तरह इंटरनेट की दुनिया भी धिरे धीरे समय के साथ बदल रहा है. इंटरनेट की इसी बदलाव को नाम दिया गया Web1.0, Web2.0 और अब Web3.0। Web3.0 को जानने से पहले हमको ये जानना भी जरुरी है की Web1.0 और Web2.0 क्या है। क्यों बिना इसे समझे Web3.0 को समझना मुश्किल होगा। चलो फिर Web1.0 और Web3.0 के ऊपर थोड़ा रौशनी डालते हैं।

Web1.0 kya hai hindi me

चलो जानते हैं की Web1.0 क्या है और इस दौर में इंटरनेट की स्वरुप क्या था ?हम ये कह सकते हैं की Web1.0 इंटरनेट की वो पहली सीढ़ी  थी जिसपे चढ़ते हुए ये अब Web3.0 तक आगयी है।

Web1.0 केवल डेटा और कंप्यूटरों के बीच जानकारी साझा करने पर केंद्रित थी। इस दौर में इंटरनेट users केवल internet से जानकारी प्राप्त कर सकते थे पर उसमे कुछ बदलाव या सुझाब नहीं दे सकते थे। यानि ये एक one-way traffic की तरह थी जहाँ केवल आप website को पढ़ सकते थे। तकनिकी भाषा में समझों तो उस समय वेबसाइट static होता था यानि उसपर हम कुछ नहीं कर सकते थे पढ़ने के अलावा।

1989 से  2005 तक के समय को web1.0 कहा जाता था । जिसमे बहत गिने चुने content creators होते थे और वे जो content लिखते थे users उसे केवल पढ़ सकते थे। यानि web1.0 एक read -only process की तरह काम करता था।

इस दौरान इंटरनेट एक्सेस करते समय users को कोईभी विज्ञापन दिखाई नहीं देती थी। उस समय विज्ञापनों पर प्रतिबंध था। वेबसाइट को केवल इन्फॉर्मेशनल के  जाता था।

Web1.0. एक कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क(CDN) था जिसमे directories की मदत से users कोई भी इनफार्मेशन को पुनः प्राप्त कर सकते थे।

Web2.0 kya hai hindi me?

2005 से लेकर अबतक के समय को Web 2.0 कहा जाता है और हम इससे सोशल वेब भी कह सकते हैं। इस Web 2.0 में हम creators की content को मॉडिफाई तो नहीं कर सकते किन्तु सुझाब दे सकते हैं। यानि Web 2.0 एक two -way ट्रैफिक की तरह है जिसमे creators और users एक सहभागी के तरह काम करते हैं।

Web2.0 की बजह से हम ऑनलाइन शॉपिंग  कर रहे हैं ,वेबसाइट पर अपनी सुझाब भी साँझा कर पा रहे हैं जो web1.0 में सम्भब नहीं था।  यानि Web2.0 एक static पेज से participatory वेब में तब्दील हो  चूका है। जिसे हम interactive social web भी कहते हैं।

हम और आप वेब Web2.0  भलीभांति जानते हैं जिसमे हम ब्लॉग्गिंग से लेकर सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग के साथ और बहत कुछ इंटरनेट के माध्यम से कर पा रहे हैं। पर इसमें भी कुछ खामी है जिससे इंटरनेट तेजी से Web3.0 की तरफ बढ़ रही है। क्या है वो खामियां जिसकी बजह से हम Web3.0 को अपनाने के लिए बेताब है ?

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Web 2.0 की खामिया

Web2.0 कुछ खामिया है जिसकी बजह से Web3.0 का इस्तेमाल होने जा रहा है। इससे इंटरनेट में बहत सुधार हो सकता है। चलो जानते हैं की web2.0 में क्या क्या खामिया है।

1. monopoly

Web2.0में इंटरनेट की दुनिया centralised होता है यानि हमारा डाटा किसी एक सर्वर पर इक्कठा होक रहता है। यानि Google, Amazon, Facebook और Twitter जैसे दिग्गज प्लेयर इन सर्वर को कण्ट्रोल करते हैं। हमारा कोई भी चीज़ अपना नहीं होता था फिर वो वेबसाइट हो या अपनी सोशल मीडिया का अकाउंट। हमारा सारे डाटा इन कंपनियों के पास है जिसे वो जब चाहे जिस तरीके से चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं ।

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Web2.0 Centralized होने के कारण इसको  हैक करना आसान है जिसे हमारा डाटा चोरी होने की खतरा बनी रहती है।

Web3.0 kya hai Hindi me

चलो अब जानते हैं की Web3.0 क्या है और कैसे ये Web2 .0 में पाए गए खामियों को दूर कर सकता है। Web 3.0 को इंटरनेट services की 3rd generation कहा जाता है जिसका उद्देश्य एक Schematic web बनाना है जो पूरी तरह से decentralised हो। Web3.0 में हम ऐसे एप्लीकेशन को डिज़ाइन कर सकते हैं जो machine learning और deep learning technology पर आधारित हो।  

यह तकनीक(Web3.0) पूरी तरह से Decentralzied होगा यानि हमारा डाटा किसी एक सर्वर पर स्टोर नहीं होगा। इससे बड़े प्लेयर हमारे डाटा का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

यह(Web3.0) Blockchain Technology पर आधारित है जहाँ हमारा सारा डाटा किसी एक सर्वर में स्टोर ना होके  अलग अलग nodes में स्टोर होके रहेगा जैसे बिटकॉइन काम करता है। इससे बड़े प्लेयर्स का monopoly  घटेगा और हैकर्स हमारा डाटा को हैक नहीं कर सकता।

इसमें(Web3.0) में हमारा डाटा निश्चित रूप से हमारा ही होगा यानि इसका कण्ट्रोल किसी एक कंपनी के पास नहीं होगी।

Decentralized Applications या dApps, Web 3.0 का एक बड़ी उदाहरण है जो Web 3.0 की तकनीक पे काम करता है। इन एप्लीकेशन के ऊपर किसी एक कंपनी का control नहीं होता और इससे ब्लॉक करना भी नामुमकिन है। क्यों की ये एप्लीकेशन का कोई IP Address नहीं होता Web2.0 के जैसा।

Difference between Web2.0 and web3.0

Web2.0

  1. इंटरनेट सेवाओं की दूसरी पीढ़ी के रूप में Web 2.0 को गिना जाता है जिसमे users इंटरनेट पर पढ़ने के साथ साथ लिखने का काम भी कर  सकते हैं।
  2. वेब 2.0 केंद्रीकृत बुनियादी ढांचे(centralized infrastructure) पर आधारित है जहां बड़े खिलाड़ी हमारे डेटा को नियंत्रित करते हैं।
  3. Web 2.0 में उसेर्स इंटरनेट पर कंटेंट को पढ़ने के साथ interact भी कर सकते हैं।
  4. वेब 2.0 का उद्देश्य लोगों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना है।
  5. वेब 2.0 सबके विकास  के ऊपर ध्यान देता है।
  6. वेब 2.0 AJAX, JavaScript जैसे तकनीक को बढ़ावा दे रहा है।

Web3.0

  1. Web 3.0 को इंटरनेट की तीसरी पीढ़ी कहा जाता है जो users और कंप्यूटर के बिच एक अच्छी और बेहतर communication बनाता है।
  2. जबकि web3.0 विकेन्द्रीकृत बुनियादी ढांचे(decentralized infrastructure) पर आधारित है जहां उपयोगकर्ताओं उनके डेटा का एकमात्र मालिक होते हैं।
  3. लेकिन वेब 3.0 में users का उस कंटेंट पर योगदान भी कर सकता है।
  4. लेकिन वेब 3.0 का उद्देश्य लोगों और ज्ञान से जुड़ना है।
  5. जहां वेब 3.0  ज्ञान के साथ सबको सशक्त बनाने की कौशिश करता है। 
  6. जहां वेब 3.0 एआई, एमएल, योजनाबद्ध वेब, विकेंद्रीकृत वेब को प्रोत्साहित करता है।

Web3.0 course kaise karen?

web3.0 भबिष्य का इंटरनेट है जो पूरी दुनिया बदलने जा रही है। इसीलिए इस फील्ड में बहत सारे scope है। अगर आप चाहते हैं की web3.0 के बारे में जानना है या इस पर अपनी carrier बनाना है तो बिना देरी किये Web3.0 का कोर्स करलो।

क्यों की आनेवाला समय Web3.0 ,blockchain और crypto currency की होनेवाली है। आप ऑनलाइन इन सारे कोर्स घर बैठे कर सकते हो। Udemy और coursera एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहाँ आप घर बैठे और बहत कम खर्च पे ऑनलाइन कोर्स कर सकते हो।

निष्कर्ष –Web3.0 kya hai?

सच में web3.0 भबिष्य का इंटरनेट है जो पूरी दुनिया को बदलने वाली है। आशा करता हूँ आपको हमारी पोस्ट Web3.0 kya hai अच्छी लगी होगी। कोई सुझाब हो तो बताएं ताकि हम उसपे काम कर सके। धन्यवाद्।

Faqs- Web3.0 kya hai?

Web3.0 क्या है?

Web 3.0 को इंटरनेट की तीसरी पीढ़ी कहा जाता है जो users और कंप्यूटर के बिच एक अच्छी और बेहतर communication बनाता है।ये decentralized infrastructure पर आधारित है जिसमे blockchain का इस्तेमाल किया जाता है जहां उपयोगकर्ताओं उनके डेटा का एकमात्र मालिक होते हैं।

Web3.0 कैसे काम करता है?

Web3.0 आनेवाले समय में इंटरनेट की भबिष्य है जो Semantics Web, Artificial intelligence , 3D Graphics, machine learning और Blockchain तकनीक पे काम करेगी। इस तकनीक से users के डेटा सुरक्षित रहेंगे और कोई भी बड़े कंपनी अपना monopoly चला नहीं पाएंगे।

Web3.0 blockchain

Web 3.0 दरसल blockchain तकनीक पे आधारित है यानि Web 3.0 क्रिप्टो करेंसी के जैसी ब्लॉकचैन पर बनाया जाएगा ताकि Web 3.0 decentralized हो। इसका ये मतलब है की Web 3.0 में किसीभी centralized कंपनी का involvement नहीं रहेगा। यानि आपका हर एक कंटेंट सिर्फ आपका होगा।

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